जब बात हुई, हर बात पे वो ख्याल आया,
हर लम्हा, उस लम्हे पर सवाल आया,
चाहे अनचाहे उस भवर में बह सी गयी,
दिन बीता और रात हुई,पलकों को विराम मिला और वो धीरे से वो बंद हुई,
बंद नज़रों में भी वही मंज़र कमाल आया,
टिम टिम करता वो तारा भी कहीं खो गया या सो गया,
क्यों हर लम्हा, उस लम्हे का ख्याल आया,
शायद कुछ ऐसे उत्तर हैं, जिन के प्रश्नों पर भी सवाल आया,
सब भूल गयी, बस भूल गयी,
बीता लम्हा जब याद आया.
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