साथ इतना प्यारा क्यों लगने लगा
हर पल दिल में वो और गहरा उतरने लगा
जब भी मिटानी चाही वो तस्वीर आँखों से
बंद आँखों में भी वो मेरी तकदीर बन ने लगा
तकदीर है मेरी वो तो मुझसे खफा क्यों है
खफा न भी सही, पर वो दूर खड़ा क्यों है
शायद डर है उसे भी खो जाने का
बेखबर वो नहीं, फिर भवर में खड़ा क्यों है ...
सोचा था दूर चले जायेंगे,
न याद करेंगे , न याद आएंगे,
भूल गए थे जज्बातों की गहराई को,
नादान थे न पहचाने अपनी ही परछाई को,
भूल जाने का ख्याल जैसे ही आया दिल में,
वफ़ा दिखा ही दी इन सांसों ने दिल से,
फ़र्ज़ पूरा किया अपनी मोहोबत का,
जब बेवफाई दिखा दी मुझसे इन सांसों ने.
हर पल गुज़रता गया, इंतज़ार में तेरे
ख्वाब था या हकीकत, जो अब तक याद है मुझे
कैसे दिन गुज़र गए, शायद उम्मीद थी कहीं
दस्तक देगा कोई, दबा अरमान था कहीं
जितना भुलाना चाहा,उतना गहरा उतर गया
जो अजनबी सा था, वो वजूद है अभी
ये साँस भी तो अब रुक रुक के आती है
धड़कता तो है दिल, कहीं बेचैन तो नही
इस मासूम मुस्कराहट के पीछे, कहीं ग़म-इ-ख़ास तो नही
सदियों का जो ये बंधन है, दर्दे - राज़ तो नही
मुस्कुरा दे फिर और हाथ बड़ा दे सही
सदियों का ये तो रिश्ता है और मैं भी हूँ वही....