Thursday, September 30, 2010

untitled


साथ इतना प्यारा क्यों लगने लगा
हर पल दिल में वो और गहरा उतरने लगा
जब भी मिटानी चाही वो तस्वीर आँखों से
बंद आँखों में भी वो मेरी तकदीर बन ने लगा
तकदीर है मेरी वो तो मुझसे खफा क्यों है
खफा न भी सही, पर वो दूर खड़ा क्यों है
शायद डर है उसे भी खो जाने का
बेखबर वो नहीं, फिर भवर में खड़ा क्यों है ...

Saturday, September 25, 2010

"Parchai"


सोचा था दूर चले जायेंगे,
न याद करेंगे , न याद आएंगे,
भूल गए थे जज्बातों की गहराई को,
नादान थे न पहचाने अपनी ही परछाई को,
भूल जाने का ख्याल जैसे ही आया दिल में,
वफ़ा दिखा ही दी इन सांसों ने दिल से,
फ़र्ज़ पूरा किया अपनी मोहोबत का,
जब बेवफाई दिखा दी मुझसे इन सांसों ने.

Friday, September 10, 2010


हर पल गुज़रता गया, इंतज़ार में तेरे
ख्वाब था या हकीकत, जो अब तक याद है मुझे
कैसे दिन गुज़र गए, शायद उम्मीद थी कहीं
दस्तक देगा कोई, दबा अरमान था कहीं
जितना भुलाना चाहा,उतना गहरा उतर गया
जो अजनबी सा था, वो वजूद है अभी
ये साँस भी तो अब रुक रुक के आती है
धड़कता तो है दिल, कहीं बेचैन तो नही
इस मासूम मुस्कराहट के पीछे, कहीं ग़म-इ-ख़ास तो नही
सदियों का जो ये बंधन है, दर्दे - राज़ तो नही
मुस्कुरा दे फिर और हाथ बड़ा दे सही
सदियों का ये तो रिश्ता है और मैं भी हूँ वही....