Saturday, March 12, 2011


एक सुंदर एहसास हो तुम या कोई पुरानी याद हो तुम
हो मेरे ही हमसफ़र,या कोई अजनबी ख्वाब हो तुम
दिल से निकली आह हो तुम या मुझसे ही लिपटी आग हो तुम
हो मेरे तुम हमकदम या यूँ ही बढती प्यास हो तुम
ठहरी गहरी सी रात हो तुम या तेज़ बरसती फुहार हो तुम
मेरे ही दिल की धड़कन हो या उनकी चलती सांस हो तुम
किस्सा एक कहानी का हो या कोई कहानी ख़ास हो तुम
जो भी हो जहाँ भी हो,मेरे ही जज़्बात हो तुम
इन आँखों का तुम सपना हो और दिल के कितने पास हो तुम