तुम हमे याद न आओ तो कोई बात नहीं
याद आये और तुम न आओ तो मुश्किल होगी...
वो दिन,वो पल लौट के न आयें तो कोई बात नहीं
उन पलों में हम खो जाएँ जो मुश्किल होगी...
दर्पण में देखूं अपना चेहरा, और चेहरा तुम्हारा दिखे तो कोई बात नहीं
तुम्हारे अक्स में अपनी परछाई दिखे तो मुश्किल होगी....
ख्यालों की दुनिया में बह जाऊं तो कोई बात नहीं
भरी महफ़िल में ये लब कम्प्कपायें तो मुश्किल होगी...
रात करवट में गुज़र जाए तो कोई बात नहीं
खुली आंख में तस्वीर दिखे तो मुश्किल होगी...
मेरे सफ़र में हमसफ़र न बन पाए तो कोई बात नहीं
सफ़र खत्म होने पे न आये तो मुश्किल होगी...
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