Thursday, July 21, 2011

" उड़ान "
इन बहकती फिज़ाओं में खो जाना चाहता है...
हर पल, इस पल, जीना चाहता है दिल,
अपने दायरों की ख़ामोशी से, उन तुफानो की गरज में मिल जाना चाहता है...
गहरे सन्नाटों से निकल,मीलों लम्बी तनहाइयों में रह गुज़र करना चाहता है दिल,
छोड़ के दुनिया का मेला, गहरी मदहोशियों को गले लगाना चाहता है ...
उठा के हाथ अपने, उस आसमान को फिर छूना चाहता है दिल,
तोड़ के सब पहरे,ऊंची उड़ान भरना चाहता है...
हर पल,एक पल, इस पल जीना चाहता है दिल...

Wednesday, July 6, 2011

"ऐतबार"
हर बार अपने ही अंदाज़ में वो हमे समझाते रहे...
नासमझ है फिर भी दिल उनकी तो सुनता ही रहा...
समझ जब न आई तदबीर...
तो तकदीर समझ , वो अपनी ...
उन अश्कों के बीच यूँ ही हँसता भी रहा...
कह दिया था उन्हों ने कभी...
कभी तो ऐतबार हम पर करो...
इसी वायदे - ऐतबार के सहारे , ये वक़्त यूँ ही कटता भी रहा...
वही उम्मीद और बैठे बैठे यूँ ही हसने और रोने की ताबीर...
ये सब वो छोड़ गया, जब गया...
और हमने भी क़ैद कर ली यादें...
समझ उनकी ही जागीर...
जिद्द थी हमे भी बस ,न ऐतबार ये कभी कम होगा...
किया था जो वायदा , अब साथ ही दफ़न होगा...
सोचते हैं जब, ये लब आज भी मुस्कुराते हैं...
ये गेसू उनके काँधे पे...
बिखर जाने को, आज भी मचलाते हैं...
शायद वो वायदा , वो ऐतबार एक भ्रम ही सही...
हम अपनी ज़िन्दगी, आज फिर दाव पर लगते हैं...