Wednesday, January 19, 2011

"KHYAAL"


सोते जगते.रोते हँसते ,हर लम्हा,एक ख्याल जो हमेशा साथ रहता है,
मेरा साया वो नहीं,पर साया बन साथ रहता है...
सोचा कई बार की दूर कहीं छोड़ आऊं उसे कहीं,
कदम उठते ही वापिस,आगोश में ले लेता है वही,
पहले से ज्यादा,और पहले से गहरे,अपने ही भवर में छोड़ देता है कहीं,
सोचा था ख्याल शायद ख्वाब ही होगा,या ख्वाब की तरह आंख खुलते ही खो जाएगा कहीं,
लेकिन खुली आंख में भी वो ख्वाब,ख्याल बनकर ,उन अश्कों से पलकों को भिगो देता है कहीं...

No comments:

Post a Comment